भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ख़त / हरकीरत हकीर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुझे पता है
यह मुहब्बत से भरे ख़त
तूने मुझे यूँ ही
बहलाने के लिए लिखे हैं
क्योंकि तुम जानते हो ….
दर्द की महक किताब के
आखिरी पन्नों से ही
उठती है ….