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ख़्वाब को देखना कुछ बुरा तो नहीं / शहरयार
Kavita Kosh से
बर्फ़ की उजली पोशाक पहने हुए
इन पहाड़ों में वह ढूंढ़ना है मुझे
जिसका मैं मुन्तज़िर एक मुद्दत से हूँ
ऎसा लगता है, ऎसा हुआ तो नहीं
ख़्वाब को देखना कुछ बुरा तो नहीं।