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खाली हुआ है घर / प्रदीप शुक्ल
Kavita Kosh से
बज गए नौ
और लो
खाली हुआ है घर
सात से नौ तक
यहाँ पर
युद्ध का माहौल रहता
भोर होते यहाँ पारा
दूध के संग खौलता
पर अभी
ठंडा रहेगा
बर्फ सा दिन भर
दोपहर तक
एक झपकी
ले चुकी सारी दिवारें
धूप की किरनें छुपीं
परदों के पीछे से निहारें
करें कोशिश
पर नहीं
घुस पा रहीं अन्दर
बस अभी
कुछ देर में
फिर मौन टूटेगा यहाँ पर
लौट कर स्कूल से
बच्चा जो रूठेगा यहाँ पर
साथ होंगे
लाड़ भीगे
प्यार के कुछ स्वर।