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खुरदरी सच्चाइयों से भर गया / विनय मिश्र
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खुरदरी सच्चाइयों से भर गया ।
दिल मेरा तन्हाइयों से भर गया ।
रास अब आने लगी कठिनाइयाँ,
इस क़दर कठिनाइयों से भर गया ।
आज फिर अहसास जीने का हुआ,
दर्द जब गहराइयों से भर गया ।
मैं सिफ़र था आपका आना हुआ,
सुबह की पुरवाइयों से भर गया ।
धूप की टहनी हवा की पत्तियाँ,
सोचकर परछाइयों से भर गया ।
मैं ज़रा लेटा था खिड़की खोलकर,
ख़्वाब की अमराइयों से भर गया ।
बादलों में जो ढँका था पेड़ वो,
बारिशों में काइयों से भर गया ।