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खेजड़ा / सत्यनारायण सोनी

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एक अकेला
ठूंठ खड़ा
खेजड़ा
निर्जन मरुथल में।

सूखें फोग
खींप
पर अटल तपस्वी-सा
अड़ा
खड़ा है
लिए आशाएं मन में-
गरजेंगे, बरसेंगे
घन
फूटेंगी कोंपलें
हर्षित होगा फिर से
जन-जन।

1990