भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

खेत सूख जायेगा / सैयद शहरोज़ क़मर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खेत सूख जाएगा
पानी क्या आएगा

आँख पथराएगी
बसन्त कब आएगा

तुम चले आए हो
सब चला जाएगा

सड़क सुनसान है
दंगा हो जाएगा

अपने ही खंजर से
वो मारा जाएगा

07.04.97