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खेलूँ होली / लक्ष्मी खन्ना सुमन
Kavita Kosh से
एक परी बगिया में आई
फूल देखकर वह हर्षाई
रंग-बिरंगे कितने सारे
जब खिल हँसते, लगते प्यारे
तभी कहीं से तितली आई
देख परी उसको मुस्काई
पूछे रंग कहाँ से लाई
तितली तुम मेरे मन भाई
फूल-फूल से खेलूँ होली
रंग वही हैं तितली बोली