भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

खेल / नंदकिशोर आचार्य

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खेल खेलता है मृत्यु के साथ
                          ईश्वर
खेल खेलती है
ईश्वर के साथ मृत्यु भी

दोनों का मोहरा पर मैं हूँ :
सौंप कर मुझे मृत्यु को
बचाता है ख़ुद को
                 ईश्वर—
ईश्वर को मार देती है
मार कर मृत्यु मुझ को

कभी ईश्वर होता हूँ
                    मैं
मृत्यु कभी उस की—

मैं भी खेलता हूँ खेल ।

10 जून 2009