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गंगाक कछेरमे / ककबा करैए प्रेम / निशाकर
Kavita Kosh से
गंगाक कछेरमे ठाढ़ भऽ देखि रहल छी
सोहाओन
आ एकटा टटका दृश्य
देखाइछ-
खाली पानि... पानि... पानि...।
कने कालक बाद
देखाइछ-
हेलैत माछ
महीस
आ महीसबार।
कनी कालक बाद
दृश्य
फेर बदलैछ
देखाइछ-
दूरसँ अबैत एकटा डेंगी
पतवारसँ नाह खेबैत मलाह
सुनाइछ-
ओकर गीत
पानिक सोर
गीत पर ताल दैत अछि
नहा जाइछ हमर मोन
धन्य भऽ गेलहुँ गंगा
तोहर कछेरमे ठाढ़ भऽ