भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गगनक कोन - कोन केँ छापल / यात्री
Kavita Kosh से
गगनक कोन - कोन केँ छापल
घुमड़ि घुमड़ि के अग- जग व्यापल
तन हुलसाबए
जिय सरसाबए
बादर कारी कारो
सुरूज-किरण पर करफू लागल
शुभ सोहाग धरती केर जागल
करू असनाने
धरू हुनि कारो
बादर कारी कारो
बिरहक मातलि सुनु सुनु सुंदरि
साजन घुरता, भेटत छाहरि
सबहिक दुखहर
साओन सुखकर
बादर कारी कारो