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गधे की ढेंचू / अनुभूति गुप्ता
Kavita Kosh से
खुद को समझे बहुत सयाना,
गधा न गाये अच्छा गाना!
सुबह-सुबह मुर्गा चिल्लाया,
सूरज ने तब मुख दिखलाया!
गधा लगा माहौल जाँचने,
ढेंचू-ढेंचू लगा अलापने!
सुनकर गधे की ये बोली,
धोबी ने भी आँखें खोली!
डंडा लेकर धोबी आया,
गधा फिर ढेंचू चिल्लाया।