भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गर्भस्थ कन्या की पुकार / रामफल चहल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जब एक गर्भवती महिला को उसकी सास भ्रुण जांच के लिए मजबूर करती है तो गर्भ में से कन्या अपणी मां को क्या अनुरोध करती है।

ऐ री मां तू मेरी बात मानं जाइए
कितै बी जाइए डाक्टर के ना जाइए
तूं स्याणी सै खुदअ हिसाब लाइए
अर मेरी दादी ने भी समझाइए
आपां हजार कै पाछैं सात सौ रहग्यी
फेर भी मेरी दादी मेरे बाबू के कान म्हं कुछ कहग्यी
जैं मैं जन्मी तो आपै त्यार होकै स्कूल म्हं पढ़ण जाऊंगी
फेर छुटियां म्ंह उल्टी आण कै घर का सारा काम भी कराऊंगी
तेरे ऊपर कोई दुख भी आया तो सदा तेरै धोरै खड़ी पाऊंगी
मां तू मन्नै बाहर काढ़ कै मतना बगाइए
मां तू कितै बी जाइए पर डाक्टर के ना जाइए
मनै ब्याह कै चाहे किस्सै कै साथ भेज दिए उल्टी नहीं आऊंगी
थारै मकान के भी ना कदे बीचम बीच भींत कढ़वाऊंगी
मैं दारू पी कै भी ना कदै नालियां म्हं पड़ी पाऊंगी
अर ना थारी बदनामी के पोस्टर थाणे म्हं लगवाऊंगी
मन्नै बेशक तै इन बातां की भाइंयां की सौंह खुवाइए
मां और कितै बी जाइए पर डाक्टर के ना जाइए
मां जै तन्नै अगली बार बेटा जण भी दिया तो कोणसा छ़त्रधारी बणैगा
तम मेरे दहेज का हिसाब लगाओ सो वो थारै तै भी बड़ा ब्यापारी बणैगा
वो अपणी कोठी शहर की बढ़िया कालोनी म्हं बणवावैगा
उसमैं ड्राइंग रूम अर बैड रूम तो होंगे पर थारा कमरा कितै नहीं पावैगा
मां मैं या बात तेरे ताहीं कहूं सूं तू और किस्सै आगै मतना बताइए
मां तू और कितै बी जाइए पर डाक्टर के ना जाइए
मां बोल्ली बेटी सूणूं सूं सिर धुनुं सूं
पर तेरी मां सै कत्ती मजबूर
मन्नै अल्ट्रासाऊंड कराणां पड़ैगा
पति का कहणा मानना सै दस्तूर
फेर गर्भ म्हं तै एक आवाज आई
अर अणजामी कन्या चिल्लाई
बुढ़ापे म्हं जब एकेले पड़े रोवो जब मेरे बाबू कै या बात याद दुवाइए
जो मेरी दादी मेरी गेल्यां करणा चाहवै तू आपणी पोती गेल्यां मतना कराईए
मान ली मजबूरी सै पर तू अपणी पोती नै दुनियां म्हं जरूर आवणदिए
मां मेरे होवण आल़े भाई नै उसके लाड जरूर लडावणदिए
मां पूतना भी थारै तै अच्छी थी वा दुधि प्याकै बिराणा नै मारया करती
उसने छोहरे-छोहरी म्हं भेद करया ना सबनै पार उतारया करती
मां सांपण भी जण कै खा सै तू बिन जणै मत ना खाइए
मां तू कितै बी जाइए पर डाक्टर के ना जाइए
मां बोल्ली और घणी ना बोल्लै मन्नै राजी बोल भलोवै ना
मेरै धक्कै लागै घर तै काढै मन्नै दीन दुनियां तै खोवै ना
दिखै इब मेरी आत्मा जागग्यी
अर मेरै कालजै म्हं तेरी बात लागग्यी
मैं खुद मर ज्यांगी पर तन्नै नहीं मारण दयूंगी
मैं शहर नहीं जां तन्नै शरीर धारण दयंूंगी
फेर बेटी हांस कै बोल्ली भाई कै पोंहची बांधण नै बाहण
अर भाभी की सन्दूक खोलण नै भी तो नणद चाहिए
अर औरत की तो भीष्म तै भी बड़ी प्रतिज्ञा बताइए
मां तू कितै बी जाइए पर डाक्टर के ना जाइए