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गर्मी में / सुरेश विमल
Kavita Kosh से
लिए खड़ा भोलू इक्का
गर्मी में हक्का-बक्का।
सिखा रही है तख्ती लिखना
काकी नन्ही बिटिया को
डाल डाल छप्पर पर पानी
भिगो रही हैं कुटिया को।
गुलमोहर की छाया में
खेल रहे चौपड़ कक्का।
बंडी खोल महाभारत की
कथा बांचते दद्दा जी
भली बांस की लगे चटाई
नहीं सुहाता गद्दा जी।
गांव नगर सुनसान हुए
जाम हुआ जग का चक्का।