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गुड़िया / बाजार में स्त्री / वीरेंद्र गोयल
Kavita Kosh से
तुम्हारा प्यार
हर चीज से है प्यारा
तुम्हारी हँसी और शरारतें हैं न्यारी
पैदा हुई तुम
एक वणिक के घर
साधारण रंग-रूप ले
एक उदासी-सी
घिर आयी थी मन में
पर अब वो उदासी ढल गई है
तुम्हारी हँसी मुझे छल गई है
तुम्हारा तुतलाना
और खिलखिलाना है अनमोल
लानत है मेरे मुँह से
कभी निकले थे ऐसे बोल
तुम्हारा प्यार है प्यारा
मुझे हर चीज से।