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गुड़िया की परेशानी / शकुंतला सिरोठिया
Kavita Kosh से
रोती-रोती गुड़िया आई,
किससे अपनी बात कहूँ!
चूँ-चूँ ने आफत कर डाली,
ऐसे घर में कहाँ रहूँ?
कुतरी चुनरी गोटे वाली,
लाल रंग की प्यारी-प्यारी!
डाल नहीं घूँघट पाऊँगी,
दूल्हे के संग कैसे जाऊँगी!
मर जाऊँगी लाज की मारी,
कैसे अब ससुराल रहूँ?