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गुलाम / विष्णु नागर
Kavita Kosh से
गुलामों के पंख नहीं होते
उन्हें उड़ने की जरूरत भी महसूस नहीं होती
उन्हें यह पता भी नहीं होता कि वे गुलाम हैं
उन्हें यह कोई समझा भी नहीं सकता
कि वे गुलाम हैं
वे जंजीरों को तमगों की तरह पहनते हैं
उनके बिना वे दो कदम भी चल नहीं सकते
चलना पड़ जाए तो उन्हें ऐसा लगता है कि वे मालिक नहीं गुलाम हैं।