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गैण्डे / स्वप्निल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
इन्हें जंगल में रहना चाहिए
लेकिन ये हमारी दुनिया में
दिखाई दे रहे है
जंगल महकमे के लोग परेशान है
वे बाघ की तरह हमलावर नही हैं
रौंद яरूर देते है
वे स्वभाव से लद्धड़ हैं
मोटी चमडी वाले इन गैण्डों के बारे में
कहा जाता है कि ये गुदगुदाने के
एक हफ़्ते के बाद हँसते हैं
गैण्डों को राजमार्ग की ओर जाते हुए
देखा गया है
यह सियासत के लिए बुरी ख़बर है