गोपालसिंह नेपाली का जन्म चम्पारन जिले के बेतिया नामक स्थान पर कालीबाग दरबार के नेपाली महल में हुआ था। इन्होंने प्रवेशिका तक शिक्षा प्राप्त की, कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया और फिल्मों के गीत लिखे। कविता क्षेत्र में नेपाली ने देश-प्रेम, प्रकृति-प्रेम तथा मानवीय भावनाओं का सुंदर चित्रण किया है। मुख्य काव्य संग्रह हैं- 'उमंग, 'पंछी, 'रागिनी तथा 'नीलिमा। १९३२ में उन्होंने 'प्रभात' और 'मुरली' नाम से क्रमशः हिन्दी और अंग्रेज़ी में हस्तलिखित पत्रिकाएँ भी निकालीं। मंचों के हिट कवि। उन्हें "गीतों का राजकुमार" कहा जाता था। १९६३ में माते ५२ वर्ष की उम्र में भागलपुर रेलवे स्टेशन पर देहांत।