हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
गोरी गोर बियासनी बच्ची मोरनी ए
गोरे बाबुल की धीय बच्ची मोरनी ए
हाय हाय बच्ची मोरनी ए
के रे रोऊं सराह कै बच्ची मोरनी ए
के रे सुहावन बोल
किन तेरा डिब्बा खोलियां किन तेरा किया सिंगार
हिय बधूं उस माय का कैसे किया सिंगार
आंखों पट्टी देय ली छाती वज्र किवाड़
इस जानी का बाहुड़ै वहां गया ना बाहुड़ै
अपने घर बैठ
जब तैं घर ते नीकली मन्दे हो गए सौन
मन्दे सौन न जाइयो जाइयो सकुन विचार
आगे मिल गई लाकड़ी उल्टे घड़े पनिहार
छींकत मंजा ढाइयां उट्ठी दामन चीर
काल अचानक मारिया पहरे बैठे बार