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गौरी बनलि जोगिनियाँ / कालीकान्त झा ‘बूच’

रूसल पिआक गौरी बनलि जोगिनिया
पुनि हर बरब बनव कनियाँ...
सती विरह शिव मरूघट सेवल,
कयल भस्म अन्वेषण केवल,
बनि- बनि लावण्यक नोनिया...
पर्ण सलिल खासो पुनि त्यागलि,
युग-युग पिय तप मे लय लागलि
भागलि योगेशक निनियाँ...
पुरबिल प्रीत रहल नहिं झाॅपल
भेल प्रतीति सकल तन काॅपल
बहल नैन प्रेमक पनियाँ...
गौलक स्वर्ग तलातल नाॅचल
उमा अमिय महिमा नम बाँचल,
जय हे कैलाशक रनियाँ...