तीरथ को जगन्नाथ वहुरि रामेश्वर चलु मन। पद्मनाभ गोदावरीश रनछोर सँकर्षन॥
हिंगु लाज वद्रीश मानसर गंगा सागर। गया वनारस नीमषार हरिद्वार उजागर॥
पुहुकर गढ़ मुक्तेश्वरा, मथुरा अवध प्रयाग पुनि।
वैठि रहो घट भीतरै, धरनी सतगुरु शब्द सुनि॥4॥
तीरथ को जगन्नाथ वहुरि रामेश्वर चलु मन। पद्मनाभ गोदावरीश रनछोर सँकर्षन॥
हिंगु लाज वद्रीश मानसर गंगा सागर। गया वनारस नीमषार हरिद्वार उजागर॥
पुहुकर गढ़ मुक्तेश्वरा, मथुरा अवध प्रयाग पुनि।
वैठि रहो घट भीतरै, धरनी सतगुरु शब्द सुनि॥4॥