भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
घर / तुलसी रमण
Kavita Kosh से
खा रहा रोटी
गा रहा
जाड़े की लम्बी रातों
बाबा से सुना गीत
कर रहा शौच
पत्थरों से खेलता
मिट्टी पर खींचता रेखाचित्र
अब वह
जाने लगा स्कूल
देख आता है
फूड इंस्पैक्टर के
बच्चे की पैंट
और उसके टिफिन में
ऑमलेट
वह खाता नहीं है रोटी
अब गाता नहीं गीत
खेलता नहीं पत्थरों से