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घर रो घेरो / निशान्त
Kavita Kosh से
बस मांय बैठया लोग
देखै इन्नै-बिन्नै
का बातां करै
सड़क माथै खड़्या
फरांसां री
आंवतै -जांवतै
गामां री
पण बा बुणै
बिच्यारी
सळाइयां माथै कीं न कीं ।