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घास / श्रीकांत वर्मा
Kavita Kosh से
अन्धकार कछुए-सा बैठा है पृथ्वी पर
कछुए पर बैठा है नीला आकाश--
इतने बड़े बोझ के नीचे भी
दबी नहीं, छोटी-सी घास!