भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
घेरकर आकाश उनको पर दिए होंगे / रामकुमार कृषक
Kavita Kosh से
घेरकर आकाश उनको पर दिए होंगे ।
राहतों पर दस्तख़त यों कर दिए होंगे ।
तोंद के गोदाम कर लबरेज़ पहले,
वायदों से पेट ख़ाली भर दिए होंगे ।
सिल्क खादी और आज़ादी पहनकर,
कुछ बुतों को चीथड़े सा कर दिए होंगे ।
हों न बदसूरत कहीं बँगले-बग़ीचे,
बेघरों को जंगलों में घर दिए होंगे ।
प्रश्नचिह्नों पर उलट सारी दवातें,
जो गए-बीते वो संवत्सर दिए होंगे ।
गोलियाँ खाने की सच्ची सीख देकर,
फिर तरक्क़ी के नए अवसर दिए होंगे ।