चम्पा चमेली के हरवा बना लऽ।
बलमु हो बगिया में अइलें दूनू भइया।
बड़े भाग सखी मिथिला में अइलें,
बलमु हो नेहिया लगा के फँसा लऽ।
कबहुँ ना देखनी हम अईसन सुरतिया,
बलमु हो तनिए सा बोल बतिया लऽ
महत महेन्द्र निरिख रघुनन्दन,
बलमु हो आववागमन के छोड़ा लऽ।
बलमु हो आवागमन के छोड़ा लऽ।