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चलो, नहीं करना मुझे फ़ोन / ब्रज श्रीवास्तव
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चलो, नहीं करना मुझे फ़ोन
ज़रूरी भी नहीं है देना औपचारिक-सी शुभकामनाएँ
जब यादों में कौंध ही जाऊँ मैं
तो बस इतना कर देना
एक क्षण को भला सोचना मेरे लिए
मुझे यहाँ एक तरंग मिल जाएगी
मैं भी छोड़ दूंगा एक तरंग इसी तरह।
हो जाएगा त्यौहार