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चलो मैदान / रणजीत साहा / सुभाष मुखोपाध्याय

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हड़ताल!हड़ताल!! जहाँ रहें
शामिल होंगे सभी मैदान में आज,
हड़ताल!हड़ताल!! लाखों हाथ हों एक साथ
आज हम सब देखेंगे पशु-राज।
हड़ताल!हड़ताल!! करो दुकानें, दरवाजे़ बन्द,
ट्राम बसों के चके कुन्द।
हड़ताल!हड़ताल!! फोड़ दो, बिजली की आँखें,
करो चौरंगी को अन्ध।
हड़ताल!हड़ताल!! डाकतार भाई, दूरभाष बहनो, साथ बढ़ो,
कैसा डर, पास खड़े हम!
हड़ताल!हड़ताल!! हाड़-पंजर तोड़ दुःशासन के
ख़ाल में भूस भरेंगे हम।
हड़ताल!हड़ताल!! बातें छोड़ो बाक़ी सारी,
बस एक पुकार रहेगी जारी।
हड़ताल!हड़ताल!! आग के सम्मुख हम सबके अब,
उत्तर देने की है बारी।
हड़ताल!हड़ताल!! कोई एक क़दम पीछे न हटाये,
भले करे कोई ख़ून-खराबा।
हड़ताल!हड़ताल!! मोड़-मोड़ पर होगी टक्कर,
देखें किसमें कितना ज़ोर।
हड़ताल!हड़ताल!! गोरों को जब भेजेंगे कालासागर पार,
होगी तभी युद्ध की शान्ति।
हड़ताल!हड़ताल!! तोड़कर जं़जीरें, गिराकर दीवारें,
सिर ऊँचा करेगी क्रान्ति।