चल रही कहानी / राम सेंगर
अन्धकार दीवट के नीचे का
चल रही कहानी ।
बना-बना कर पोंछा फाड़े
प्यार में मिले सब रूमाल ।
भाया पथराव में निकलना
अड़ा-अड़ा पंजों की ढाल ।
कम-ज़्यादा नोन पर
न दाल ही गई फेंकी
लीले ज्यों-त्यों टिक्कर
कर-करके हुच्च-हुच्च
रोज़ बिना पानी ।
चल रही कहानी ।
बादल की टकटकी लगाता
पेट पर पड़ा लोरे गीत ।
बचे हुए हाड़ों से फूटे
जाने यह कैसा संगीत ।
एक आग भीतर की
बाहर की एक आग
लपट कहाँ जाती है
रचना में दिखे नहीं
बेहद हैरानी ।
चल रही कहानी ।