भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चांदी रा जूता / सांवर दइया
Kavita Kosh से
बै रीसां बळता आया
अर भांडण लाग्या हजारीमलजी नै
बां री सात पीढियां समेत
हजारीमलजी हुकम दियो मुनीम नै
-आं नै बांटो रेवड़ियां
पूछो कै और कांई चाईजै
अबै बै कैवै-
हजारीमलजी आदमी है भला
बीं बगत ऊक-चूक हुयगी ही
म्हांरी अकल अर दीठ ।