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चांद कँवल / शीन काफ़ निज़ाम
Kavita Kosh से
तैरते हैं पत्ते
हौज़ में
अस्ल उन की ढूँढती है
थाह
चाँद की नर्म पीली रोशनी में
कंवल जाने कब खिलेगा