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चादर / सरोज कुमार
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चादर की हिसाब से
पाँव वह पसारे
जो अपने नाप की चादर
बुन नहीं सकता हो!
पर वह जो नया-नया उभरा है
जिसकी अस्थियाँ और मज्जा
अभी रास्ते में हें
उसे मत सिखाओ
चादर का गणित!
उसने यदि पाँव
अभी से सिकोड़े,
वह चल भी नहीं पाएगा
कभी अपने पाँवों पर!
उसे अपनी चादर के बाहर
फैलने दो,
फटने दो चादर को!
चादर का क्या है
वह तो
सफलता की दासी है!