चिड़िया / वन्दना टेटे
वह चिड़िया, जो कभी,
सोने की चिड़िया कहलाती थी ।
पिंजरे में बन्द थी जब,
तब वह रोती थी ।
आज वह आज़ाद है,
फिर भी रोती है,
लेकिन रोती वह चुपके-चुपके।
आँसू नहीं बहते उसके,
वह तो ख़ून के आँसू रोती है ।
जब वह पिंजरे में थी तो,
उसके सुनहले पंख पिंजरे की,
दीवार से टकराते थे,
और आज वह आज़ाद है तो,
कई भयानक पक्षी उसे,
मारते हैं चोंच ।
वह रोती है अपने बच्चों के लिए,
क्रूर आतंकवादी पक्षी,
किए देते हैं उनका ख़ून।
अलगाववादी पक्षियों के झुण्ड,
किए देते हैं सफ़ाया,
उसके बच्चों की एकता का ।
जातिवादी पक्षी बना दे रहे हैं,
उसके बच्चों को छोटा बड़ा,
हो छोटे-बडे वे,
होते ख़ून के प्यासे ।
कैसे समझाए चिड़िया अपने
बच्चों को, कैसे बचाए वह,
इन क्रूर राक्षस पतियों से
रो रही चिड़िया, घुट रही चिड़िया,
कोस रही चिड़िया, अपनी क़िस्मत को ।