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चुप्प करके करीं गुज़ारे नूँ / बुल्ले शाह
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चुप्प करके करीं गुज़ारे नूँ।
सच्च सुण के लोक ना सहिन्दे नी,
फिर सच्चे पास ना बहिन्दे नी,
सच्च मिट्ठा आशक प्यारे नूँ।
चुप्प करके करीं गुज़ारे नूँ।
सच्च शरा करे बरबादी ए,
सच्च आशक दे घर शादी<ref>खुशी</ref> ए,
सच्च करदा नवीं अबादी ए,
जेही शरा तरीकत हारे नूँ।
चुप्प करके करीं गुज़ारे नूँ।
चुप्प आशक तों ना हुन्दी ए,
जिस आई सच्च सुगन्धी ए,
जिस माल्ह सुहाग दी गुन्दी ए,
छड्ड दुनिआँ कूड़ पसारे नूँ।
चुप्प करके करीं गुज़ारे नूँ।
बुल्ला सहु सच्च हुण बोले हैं,
सच्च शरा तरीकत फोले हैं,
गल्ल चौत्थे पद<ref>सहिज पद</ref> दी खोले हैं,
जेहा शरा तरीके हारे नूँ।
चुप्प करके करीं गुज़ारे नूँ।
शब्दार्थ
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