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चूड़ी खनकी बुझ गया दिया / प्रमोद तिवारी
Kavita Kosh से
चूड़ी खनकी
बुझ गया दिया
तुमसे मेरा पहला परिचय
इस तरह हुआ
नयनों से झाँके आमंत्रण
अधरों पर वंशी हुई मुखर
सन्दली देह की
पुस्तक के
पढ़ लिये पृष्ठ
भीतर-भीतर
मदिरा छलकी
अखियाँ-अखियाँ
प्यासे क्षण का
संत्रास भोग
शबनम में
सागर नहा गया
साँसों में उगी रातरानी
सूना कमरा
महमहा गया
बिजली चमकी
जब तुम्हें छुआ
द्वारे पर वन्दनवार सजे
आँगन में गूँजी शहनाई
नदिया को
सागर की बांहों
में घिरना
सो घिर आईं
पायल बहकी
बहके बिछुआ