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चेहरा-चेहरा फरियादी है / सर्वत एम जमाल
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चेहरा चेहरा फरियादी है
कहने भर को आजादी है
तुम कितना भी ज़ोर लगा लो
शहर गुलामी का आदी है
वीराने को यूँ मत देखो
कागज़ पर तो आबादी है
अमन, मुहब्बत, भाईचारा
उस्तादों की उस्तादी है
आप मुहाफिज़ देश के होंगे
लेकिन जिसके तन खादी है ?
यह बारिश रहमत है लेकिन
अबके क़यामत ही ढा दी है
हार चुका है सर्वत , तुमने
यह अफवाह तो फैला दी है