भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चेहरे (2) / हरीश बी० शर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


भाषा तेरी
भाषण मेरे
चेहरे पर हैं चेहरे
कौन दोस्त
किसे दुश्मन मानें
पहचानें पर संकट जानें
आस्तीन को कौन खंगाले
संकर हुए सपेरे