भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

छायाएँ / गुल मकई / हेमन्त देवलेकर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सूर्य एक चरवाहा है
साथ लेकर आता
असंख्य मवेशियों का रेवड़
हर एक को
पेड़ तले बांध
ख़ुद ऊँचे पहाड़ के पीछे
कहीं सुस्ताता
शाम को घर लौटते
खोलकर ले जाता
सारे मवेशी अपने