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छुअन / पीयूष दईया

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आवाज़ के पता होने में
छुअन है
बारिश की
--बूंदों के जोड़ से बनती

उफ़ !
यह दिल बना है
चलते-चलते

पूरा होता
किस्तों के भेस में

हमेशा वास्ते