जंगली कलहंस / मेरी ओलिवर / रश्मि भारद्वाज
तुम्हें अच्छा बनने की कोई ज़रूरत नहीं
तुम्हें अपने घुटनों पर आने की ज़रूरत नहीं
रेगिस्तान में सैकड़ो मील चलकर पछताते हुए
तुम्हें, बस, अपनी देह के कोमल पशु को छोड़ देना है प्रेम करने के लिए
उससे, जिसे वह प्रेम करता है
तुम मुझसे कहो अपनी निराशाएँ और मैं कहूँगी तुम्हें अपनी
इस दौरान चलती रहेगी दुनिया
इस दौरान सूरज और बारिश की पारदर्शी बून्दें घूमती रहेंगी परिदृश्य में
घास के मैदानों और घने पेड़ों पर
पहाड़ों और नदियों पर
इसी दौरान जंगली कलहंस, स्वच्छ नीले आकाश में
लौट रहें होंगे फिर से घर की ओर
तुम कोई भी हो, कितने भी एकाकी
यह दुनिया तुम्हारी कल्पना के लिए खुली है
तुम्हें बुलाती है उसी जंगली कलहंस की तरह, निष्ठुरता और उत्तेज़ना से
बार बार तुम्हारे स्थान की घोषणा करती
चीज़ों के परिवार में
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : रश्मि भारद्वाज