भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जंगल शहतूतों के / अमरनाथ श्रीवास्तव

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

हम तो दर्शक जैसे
पहले थे, अब भी हैं
चेहरे अख़बारों के
आते हैं, जाते हैं

प्यादे से फ़रज़ी हैं
फ़रज़ी से प्यादे हैं
खेल-खेल में बदली
चाल के इरादे हैं
हम तो पैदल मोहरे
पहले थे, अब भी हैं
लोग संगमरमरी —
बिसात पर बिछाते हैं

छोटी मछली जिसकी
पथराई सूरत है
बड़ी मछलियों के घर
सगुन है, मुहूरत है
हम तो गूँगे मुलजिम
पहले थे, अब भी हैं
लोग हमें देखकर
सलीबें चमकाते हैं

सधे-बधे चेहरे हैं
व्यापारी दूतों के
बेमानी हैं जंगल
मीठे शहतूतों के
रेशम के कीड़े हम
पहले थे, अब भी हैं
लोग हमें उलझाकर
धागे सुलझाते हैं