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जड़ दूँ एक चुम्बन / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

जड़ दूँ एक चुम्बन
तुम्हारे माथे पर
कि सारी पीड़ा हर लू
चूम लूँ नयन और
तप्त अश्रु बूँद- बूँद पी लूँ
छीन लूँ तुम्हारे अधरों की उदासी
अधरों से छूकर
मैं इस तरह जी लूँ
कि तुम्हारा सारा दुःख
अपने भीतर समेट लूँ
ताकि तुम मुस्कुरा सको.