भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जनम लेने छै सतखोलियामे / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

जनम लेने छै सतखोलियामे
करिकन्हा जब जनम लेलकै
रानी बनसप्ति के बेटा लगै।
सात सय हाथी टेंना पर चरबै
शैनी सिंह के बेटा कहबैय
जनम कुमार सतखोलियामे रहलै यौ।
सिंहलदीपमे राजा रहै छै
सूरजा सिंह नाम पड़लै
एगो बेटी जनम लेलकै
संझावती नाम रखने छै
जइ दिन जनम संझा भेलै
सोइरी घरमे अँचड़ा बन्हलकै
शनि रवि पबनी टेकलकै
एकादशी हरि बातों केलकै
आठो दिन अठबारे केलकै
सुभ भक्ति आय संझा जइ दिन करैय यौ।
हौ दीनानाथ के सुमिरन करै छै
शिव बाबा के नित जल ढ़ारै छै।
कहिया ब्याह हमरा होयतै
सब दिन पूजा शिव मंदिर केलीयऽ
इहो वरननमा बाबा हमरा दऽ दीयौ यौ।।