आप के कलाम का मजमूआ फर्शे-नज़र मुझे मिला, आप ने इस की इशाअत से उर्दू की बक़ा और तरक़्क़ी की जद्दोजहद में एक रौशन इज़ाफ़ा किया है। ज़बान-ओ-बयान और मआनी -ओ-मतालिब के ऐतबार से हर शेर आप की क़ुव्वते-फ़िक्र व कुहना मशकी की दलील है।
आप के कलाम का मजमूआ फर्शे-नज़र मुझे मिला, आप ने इस की इशाअत से उर्दू की बक़ा और तरक़्क़ी की जद्दोजहद में एक रौशन इज़ाफ़ा किया है। ज़बान-ओ-बयान और मआनी -ओ-मतालिब के ऐतबार से हर शेर आप की क़ुव्वते-फ़िक्र व कुहना मशकी की दलील है।