जब तुम किसी मधुर अवसर पर
मिलो कहीं हे बंधु, परस्पर,
एक दूसरे पर हो जाओ
तुम अपने को भूल निछावर!
जब हँसमुख साक़ी आ सुंदर
अधरों पर धर दे मदिराधर,
वृद्ध उमर को भी तब क्षण भर
कर लेना तुम याद दया कर!
जब तुम किसी मधुर अवसर पर
मिलो कहीं हे बंधु, परस्पर,
एक दूसरे पर हो जाओ
तुम अपने को भूल निछावर!
जब हँसमुख साक़ी आ सुंदर
अधरों पर धर दे मदिराधर,
वृद्ध उमर को भी तब क्षण भर
कर लेना तुम याद दया कर!