जब मैं नहीं हूँगा / सुशान्त सुप्रिय
जब मैं नहीं हूँगा
तुम मुझे एल्बम की फ़ोटो में
मत ढूँढ़ना
मुझे ढूँढ़ना
आँगन के कोने में उगे
नीम के पेड़ में
जिसकी घनी पत्तियों में
चिड़ियों के घोंसले हैं
मैं हूँगा
सुबह की क्वाँरी हवा में
जिसका सुखद स्पर्श तुम्हें जगा जाएगा
एक नए दिन की
ज़िम्मेदारियाँ निभाने के लिए
तुम मुझे पाओगी
सूर्योदय की लालिमा में
जो तुम्हारे अन्तर्मन के
हर अँधेरें कोने को
रोशन कर देगी
मैं तुम्हें मिलूँगा
खेत में काम करते
किसान के हल में
जो बीज को नया जीवन देने के लिए
उर्वर ज़मीन तैयार कर रहा होगा
मैं मौजूद हूँगा
गर्भवती घटाओं में
जो अपना सारा जल उड़ेल कर
सूखी-प्यासी धरती को
तृप्त कर रही होंगी...
जब मैं नहीं हूँगा
तुम मुझे अपनी
स्मृतियों के चल-चित्र में
मत ढूँढ़ना
जिसे तुम पहचानती थी
उस देह की केंचुली उतार कर
मैं कब का जा चुका हूँगा
किंतु यदि हृदय से ढूँढोगी तो
पाओगी तुम मुझे फिर से
धूप, हवा, पानी, मिट्टी और
हरियाली के रास्ते ही
कई अलग रूपों में