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जमाने का विचित्र रंग / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित

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खूब लड़ी मर्दानी
वह तो झांसी वाली रानी थी !
कौन थी ? वह
बच्चे अक्सर पूछते हैं
तो मैं बताता हूँ
कि वह एक बहादुर वीरांगना थी
मैं बताता हूँ और पाता हूँ
कि बच्चों को अब रुचि नहीं
अपने इतिहास में
उन्हें अब मालूम है
वेलेंटाइन डे
फ्लानां डे
जब वी मेट
करीना-सैफ का गठबंधन
विपाशा-जॉन का चक्क्र
कौन-सा हीरो फ्लॉप
कौन-सा हिट
या बाजार में क्या नया
आया, क्या गया
गाड़ियों के मेक
कैमरों की कीमत
आखिर कब वे जानेंगे
अपना इतिहास !
अपनी महान विभूतियों को
महाभारत, रामायण
कृष्णा सब सिमटा दिया है -
धारावाहिकों ने
तो पढ़ने की जरूरत किसे ?
मूल को पढ़ना कोई नहीं चाहता
पर
नंदलाल दयाराम की कुंजियां
सब पढ़ते हैं
मूल को पढ़ने से आते हैं
नंबर ज्यादा
पर बाप की सलाह लेता है कौन
घर पर पढ़ना नहीं चाहते
ट्यूशन पर पढ़ाई पसंद हैं
मास्टर जी की बेटी टीना
बिरजू को पसंद है
ऐसा नहीं
कि भगवान में आस्था रही नहीं
आस्था, पूजा, श्रद्धा के लिए
चाहते हैं भक्त अनेक
शिव, अंकित, प्राण, हर्ष
सब की मनौतियों का द्वार वहीं
प्रभु जानते हैं
पर क्या करें ?
वे भी बेबस हैं
उन्हें भी चाहिए
कुछ लोग ऐसे भी
ताकि दूसरोें को पता लग सके
कि यह द्वार ठीक है
भक्त लगे रहते हैं
प्रसाद वहीं से लें
जहां भीड़ रहती है
बाल वहीं कटवाएं
जहां ट्यूब लाईट हो चकाचक
वरना सब बेकार
तो कहां चल दिये ?
मंदिर
या बाल कटाने
जी नहीं ! आज मंगलवार है
मैं चला प्रभु की शरण
पूजा करने श्रद्धाभाव से !
तो बताने की क्या जरूरत थी ?
हमें पता है
कि हर मंगलवार तुम
कहां जाते हो ?
क्यों लाइन में लगते हो
क्यों बूंदी चढ़ाते हो ?