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ज़रदारों से आस नहीं / रोशन लाल 'रौशन'
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ज़रदारों से आस नहीं
मन दौलत का दास नहीं
यारो ! जो हस्सास नहीं
कुछ भी उसके पास नहीं
जनता के दुख-दर्द का हल
नेताओं के पास नहीं
दीन-धर्म की बात न कर
शेर सुना बकवास नहीं
प्यार वफ़ा किरदार अमल
आज किसी के पास नहीं
जीवन जीने निकला हूँ
कानी-कौड़ी पास नहीं
मौत तेरी परछाईं है
पर तुझको आभास नहीं
निर्धन का मुँह सूखा है
यह मेरा मधुमास नहीं
घर आँगन शमशान-नुमा
जीवन की बू-बास नहीं