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ज़िन्दगी हम सादा जीते हैं / हरिवंश प्रभात
Kavita Kosh से
ज़िंदगी हम सादा जीते हैं, मज़े की बात है।
दूसरे की प्यास मिटा पीते हैं, मज़े की बात है।
देश में जीने की शैली, है बड़ी उत्तम यहाँ,
हर जगह केले-पपीते हैं, मज़े की बात है।
वायरस से क्या कहूँ हम आज तक लड़ते रहे,
फिर भी दिन अच्छे ही बीते हैं, मज़े की बात है।
जितने नामी और गिरामी वैज्ञानिक थे यहाँ,
वे नहीं था ज्ञान में रीते, मज़े की बात है।
ख़ास है कुछ तो अपने ज्ञान को वैदिक होने पर,
देखते रामायण-महाभारत, मज़े की बात है।
मेरा रुतबा है हिमालय की तरह अब भी अटल,
शान से जीते ‘प्रभात’ हैं यह, मज़े की बात है।