जान बहार दहार बहो रे।
डूबो जक्त भक्त बिन चीन्हें बिन जल मीन अधीन मरो रे।
ज्यौं रवि नीर मिरग की ममता मिलहिं न जल खल जीव गयो रे।
बिनु गुरु संध अंध मत डोलत सत्त असत्त न चीन परो रे।
छूटो लाल माल गाढ़ी सें ऐसों रतन बिजनर करो रे।
बिनु गुरु कृपा पार नहिं लागो जूड़ी या जग सार गहो रे।